Thursday 29 August 2013

यह देश बड़ा.......


यह देश बड़ा उपजाऊ है|
इसका हर भाग बिकाऊ है|
यह देश बड़ा.......


हत्या लूट कत्ल व्यभिचार| 
तुम भी कर लो आँखें चार|
कहाँ सो गए हो तुम यार| 
गली गाँव में चली बयार| 
जेब सदा भरते अपनी,
अफसर अधिकारी खाऊ हैं| 
यह देश बड़ा.......
ताश का पत्ता है जीवन| 
नहले पे दहला जीवन|
उबर उबर डूबता जीवन| 
सुबह शाम ढलता जीवन| 
प्यार के बाज़ार में,
गुलाब बड़ा महकाऊ है|
यह देश बड़ा.......
जफा का जबसे नाम हुआ|
वफा बड़ा बदनाम हुआ|
सबा का चर्चा आम हुआ|
बिना कत्ल इल्जाम हुआ|
जीवन के श्यामलपट पर,
झूठ नहीं छिपाऊ है|
यह देश बड़ा.......
वह सब कुछ कह जाता है|
बात झूठ गढ़ जाता है|
घूसा लात लगाता है|
फीस लूटकर खाता है|
शिक्षा अब बाज़ार हुई,
मंदिर यही दिखाऊ है|
यह देश बड़ा.......
कितने रोगी मर गए|
बोटी बोटी सड़ गए|
डर से आगे बढ़ गए|
जिंदगी से लड़ गए|
डॉक्टर की आँखों पर,
काला चश्मा टिकाऊ है|
यह देश बड़ा.......
सोया है थका गड़ेरिया|
खुला घूमता है भेड़िया|
अब न टूटेंगी बेड़ियाँ|
बांटों मत तुम रेवड़ियाँ|
देश गधे चर रहे,
लचर खड़ा काउ है|
यह देश बड़ा.......
अशफाक भगत तुम भी आओ|
आज़ाद तुम्ही कुछ कर जाओ|
आकर सुभाष पथ दिखलाओ|
हे अग्रदूत फिर आ जाओ|
आग लगी उपवन में,
कोई नही बुझौ है|
यह देश बड़ा.......
रचना - राजीव मतवाला
संकलित पुस्तक- 'स्वप्न के गाँव में' से

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