ले गई मेरी हर
खुशी आँखें|
मेरे बारे में सोचती आँखें||
उसकी आँखों में
आँखें मत डालो,
छीन लेती हैं रोशनी आँखें|
मेरी आँखों का सच
न पड़ जाए,
उसकी खत की एबारती आँखें|
सुर्ख होते हैं
किसके लान के फूल,
खून रोती है कौन सी आँखें|
शाम बुनती है
रेशमी सपने,
सुबह करती है ख़ुदकुशी आँखें|
एक मुद्दत के बाद
उभरा तो,
मुन्तजिर फिर मिली वही आँखें|
मेरा बातिन मुझे
डराता है,
बंद करते ही जाहिरी आँखें|
कौन हीरा है कौन
पत्थर है,
ये बताएंगी जौहरी आँखें|
रचित पुस्तक ’ एक युद्ध शेष ‘ (ड्रामा) से…..
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