शब्द में अर्थ का व्याकरण चाहिए|
सिर्फ
भाषण नही आच्ररण चाहिए||
शब्द में जो बदलकर नया अर्थ दे,
भावों को
इस तरह की शरण चाहिए|
फूल बनकर
जो सबको सुवासित करे,
इस तरह
सबका अन्तःकरण चाहिए|
समयधारा
में बहने से जो रह गया,
मर्मतट
जोड़ने को चरण चाहिए|
प्राण की
रेत पर स्नेह की बूँद से,
सींचने
को धरा ओसकण चाहिए|
चाह
स्वतंत्रता की थी गुलामी मिली,
देश में
आज जन जागरण चाहिए||
राजीव
मतवाला रचित पुस्तक:- ‘ गजल
वाटिका ‘ से
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